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पहली बारिश की वो खूसबू…….

~वो पहली बारिश की खूसबू~


कभी कभी ये ख़याल आता हे के…….


तुम हो कौन…….


कभी तुम मौम की तरह पिघल जाती तो……


फिर कभी पत्थर की तरह चट्टान बन जाती हो…..


तुम हो कौन…..


एक अर्शा लग गया…..


तुम्हें समझ ने मे…..


पर तुम हो कौन……पर तुम हो कौन….


वो पहली बारिश की बूँद हो तुम…..


ओ मिट्टी की खूसबू हो तुम……


कौन हो तुम……कौन हो तुम……..


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